Lockdown मैं पिझ्झा मिलना बोहोत् ही मुश्किल काम था... क्योकी हमने कभी ऑनलाईन पिझ्झा ऑर्डर नही किया... एक तो घरमे बनाते थे नही तो पार्सल लाते थे... बच्चे जिद करने लगे पिझ्झा खाने की... तभी अचानक मेरी तबीयत बिघडने लगी... मेने दवाई ली ओर सोने चली गई... दोपहर का टाईम था... दोनो बेटियो ने पिझ्झा बनाने की ठान ली...चूपचाप किचन मे जकार सब सामान उलटा पालत करके देखा...3 रोटी बची हुई थी... लाडकियो ने सोचा मम्मी आराम कर रही है, क्यो ना उनके लिये नाश्ता बना दे... ओर लगी दोनो पिझ्झा बनाने... मेरी ११ साल की बेटी ने सब vegetables काट ली... उसके बाद छोटी ४ साल की बेटी ने रोटी के उपर सॉस, मेयोनिझ वो सब लगाया ओर पता नहीं क्या क्या लगाके पिझ्झा तयार कर लिया... थोडी देर बाद मे जब उठी तो देखा दोनो गॅस के सामने खडी तवे की ओर देख रही थी... पास जाके देखा तो तवे पर पिझ्झा जैसा कूछ रखा था... मेरे पुछने के बाद दोनोने पिझ्झा बनाने की पुरी स्टोरी बता दीं... लेकीन बडी बेटी बोली...मम्मी कबसे पिझ्झा तवे पर रखा है ? पर पक नहीं रहा.. चीझ melt नही हो रहा... फिर हसकर मेने गॅस का regulator ऑन किया... ओर कहा, तुम दोनो बडी शैतान हो.. सोते समय मे हमेशा Regulator ऑफ करके सोती हू... ताकी तुम कोई बदमाशी ना करो... ये सुनकर दोनो जोर जोरसे हसने लगी... ओर बोली तभी हम सोच रहे थे गॅस चल क्यो नहीं रहा...